Tuesday, August 4, 2015

Secret of Amarnath Cave

अमरनाथ की गुफा का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यहां हिम शिवलिंग का निर्माण होता है। इस गुफा का महत्व इसलिए भी है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव साक्षात श्री अमरनाथ गुफा में विराजमान रहते हैं।भगवान शिव जब पार्वती को अमरकथा सुनाने ले जा रहे थे, तब उन्होंने रास्ते में सबसे पहले पहलगाम में अपने नंदी (बैल) का परित्याग किया। इसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया। प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। फिर पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर भगवान शिव ने पांचों तत्वों का परित्याग किया।
शास्त्रों के अनुसार इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। माता पार्वती के साथ ही इस रहस्य को शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए, जबकि गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है।
पुराणों के अनुसार काशी में दर्शन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाले श्री बाबा अमरनाथ का दर्शन है।अमरनाथ गुफा के अंदर बनने वाला हिम शिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक सर्वत्र कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। मान्यता यह भी है कि गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुंड है।ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा के अंदर हिम शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही मनुष्य को 23 पवित्र तीर्थों के पुण्य के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि इस गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के गड़रिए ने की थी। वह एक दिन भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया। एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधू से भेंट हो गई। साधू ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी। घर पहुंचकर उसने कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ। उसी समय वह साधू का धन्यवाद करने के लिए गया परन्तु वहां साधू को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।

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